नई पुस्तकें >> एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी (सजिल्द) एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी (सजिल्द)रस्किन बॉण्ड
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साहित्य अकादमी से पुरस्कॉत लेखक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रस्टी की कहानी-किस्से अनेक वर्षों से पाठकों का भरपूर मनोरंजन करते आ रहे हैं। लोकप्रिय लेखक रस्किन बॉन्ड के पात्र रस्टी में काफ़ी हद तक लेखक की अपनी छवि की झलक मिलती है। जैसे रस्किन बॉन्ड का बचपन देहरादून की हरी-भरी वादियों में बीता, उसी तरह रस्टी भी देहरादून में बड़ा होता है। रस्टी के अनेक दोस्त, उसके आसपास के लोग, उसके स्कूल के किस्से, जंगलों में पाए जानेवाले जानवर-इन सबकी रोचक कहानियाँ इस पुस्तक में मिलती हैं। कहानी कहने का रस्किन बाँन्ड का अपना एक अलग ही लहज़ा है। रस्टी और उसकी ज़िन्दगी की ये मज़ेदार, चुलबुली कहानियाँ पाठक का मन अवश्य जीत लेंगी।
‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की रूम ऑन द रूफ, वे आवारा दिन, उड़ान, दिल्ली अब दूर नहीं और नाइट ट्रेन एट देओली अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की रूम ऑन द रूफ, वे आवारा दिन, उड़ान, दिल्ली अब दूर नहीं और नाइट ट्रेन एट देओली अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
प्रस्तावना
अभी पिछले दिनों ही मैं उदयपुर में एक स्कूल के चुलबुले बच्चों से घिरा उनके लिए अपनी किताबों पर दस्तख़त करने बैठा था। इससे पहले कि मैं एक किताब के पहले पन्ने पर अपना नाम लिखता, कई बच्चे ज़ोर देकर कहने लगे-‘रस्टी की ओर से दस्तख़त कीजिए ! अपने नाम के ऊपर रस्टी लिखिए !’
मैंने ख़ुशी-ख़ुशी उनकी बात मान ली और इसी बात पर एक बाँका छैला बोल पड़ा-‘आप ख़ुद ही रस्टी हैं, हैं न?’
और मुझे मानना पड़ा कि कहानियों में जो रस्टी नाम का लड़का है वह मेरा ही बचपन और नौजवानी के दिनों का रूप है। सच कहानियों में ढल जाता है और कहानियाँ सच हो जाती हैं। डेविड कॉपरफ़ील्ड या रॉबिन्सन क्रूसो की तरह सच और कहानी एक दूसरे में समा जाते हैं और बन जाती है ज़िन्दगी की दास्तान।
हाल में एक तेज़-तर्रार समीक्षक ने लिखा कि रस्टी को रस्टी नाम ‘जंग’ के लिए अंग्रेजी शब्द ‘रस्ट’ से बना है और उसे यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि लोहे के कबाड़ की तरह वह ज़ंग खा गया है।
ग़लत, मेरे दोस्त, मेरा नाम ‘रस्टी’ पंचतंत्र की कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद में रस्टी नाम के शेर से प्रेरित है, जो दूसरों को अपना दोस्त बनाता है और यही मेरे ‘रस्टी’ का काम है-दोस्त बनाना, दोस्ती निभाना।
रस्टी की कहानियाँ दोस्ती की दास्तान हैं जिनमें सोमी और रनबीर के साथ उसे भारत का एक अलग रूप देखने को मिलता है। वह दलजीत के साथ भाग जाता है। बुड्ढी-ठुड्डी मिस मेकेंज़ी के जंगली फूलों में दिलचस्पी लेता है। दोस्तों और चाहने वालों के साथ रहते हुए जो कुछ घटता है, उसी से उसके रिश्तों में नज़दीकियों बढ़ती हैं। छोटी-छोटी बातें अक्सर अकेले रहने वाले रस्टी के दिल को छू जाती हैं, और प्यार करने वालों को वह भी चाहने लगता है। दोस्ती उसका ईमान बन जाती है।
पहली बार 1925 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो से प्रकाशित संस्कृत के पचंतत्र के अंग्रेज़ी अनुवाद में आर्थर डब्ल्यू रायडर ने एक कौवे और हिरन के संवाद में कहा है -
मुश्किल से ज़िन्दगी में मिलते हैं
इस संग्रह के लिए कहानियों का चुनाव करते हुए इस बात का ध्यान रखा गया है कि नए पाठकों को इसे पढ़ने में मज़ा आए। जो रस्टी और उसके दोस्तों को जानते हैं, वे खुश हो जाएँ !
मैंने ख़ुशी-ख़ुशी उनकी बात मान ली और इसी बात पर एक बाँका छैला बोल पड़ा-‘आप ख़ुद ही रस्टी हैं, हैं न?’
और मुझे मानना पड़ा कि कहानियों में जो रस्टी नाम का लड़का है वह मेरा ही बचपन और नौजवानी के दिनों का रूप है। सच कहानियों में ढल जाता है और कहानियाँ सच हो जाती हैं। डेविड कॉपरफ़ील्ड या रॉबिन्सन क्रूसो की तरह सच और कहानी एक दूसरे में समा जाते हैं और बन जाती है ज़िन्दगी की दास्तान।
हाल में एक तेज़-तर्रार समीक्षक ने लिखा कि रस्टी को रस्टी नाम ‘जंग’ के लिए अंग्रेजी शब्द ‘रस्ट’ से बना है और उसे यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि लोहे के कबाड़ की तरह वह ज़ंग खा गया है।
ग़लत, मेरे दोस्त, मेरा नाम ‘रस्टी’ पंचतंत्र की कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद में रस्टी नाम के शेर से प्रेरित है, जो दूसरों को अपना दोस्त बनाता है और यही मेरे ‘रस्टी’ का काम है-दोस्त बनाना, दोस्ती निभाना।
रस्टी की कहानियाँ दोस्ती की दास्तान हैं जिनमें सोमी और रनबीर के साथ उसे भारत का एक अलग रूप देखने को मिलता है। वह दलजीत के साथ भाग जाता है। बुड्ढी-ठुड्डी मिस मेकेंज़ी के जंगली फूलों में दिलचस्पी लेता है। दोस्तों और चाहने वालों के साथ रहते हुए जो कुछ घटता है, उसी से उसके रिश्तों में नज़दीकियों बढ़ती हैं। छोटी-छोटी बातें अक्सर अकेले रहने वाले रस्टी के दिल को छू जाती हैं, और प्यार करने वालों को वह भी चाहने लगता है। दोस्ती उसका ईमान बन जाती है।
पहली बार 1925 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो से प्रकाशित संस्कृत के पचंतत्र के अंग्रेज़ी अनुवाद में आर्थर डब्ल्यू रायडर ने एक कौवे और हिरन के संवाद में कहा है -
मुश्किल से ज़िन्दगी में मिलते हैं
एक दोस्त, एक बीवी, एक कमान,
मज़बूत, लचीले और टिकाऊ,
सच्चाई से भरे, नस-नस तक खरे,
जो साबित हो अचूक, जब ख़तरे में हो जान।
दिखावे के दोस्त होते हैं आम, लेकिन
जब मिलते हैं दो जिनका यारी हो ईमान,
सबसे अलग होती है, ऐसी दोस्ती की शान।
- रस्किन बॉन्ड
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